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Showing posts from September, 2018

वाराणसी: मोदी जी! आप रोज आया करिए, काशी स्वच्छ हो जाएगी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 68वां जन्मदिन है। प्रधानमंत्री अपना जन्मदिन अपने संसदीय क्षेत्र में कुछ स्कूली बच्चों के साथ मना रहे हैं। वाराणसी में कई दिनों से पीएम मोदी के आने की तैयारी चल रही है। साफ सफाई से लेकर सजावट तक।  आज सुबह से जिस तरह से वाराणसी की कुछ सड़कें चमक रही हैं उससे यहाँ के लोग प्रधानमंत्री के आने से कम लेकिन सफाई से ज्यादा खुश नज़र आ रहे हैं। वाराणसी कैंट से इलाहाबाद की रोड आखिरी बार तब ऐसी लग रही थी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस रास्ते से गुजरे थे। आज एक बार फिर उन्हें इसी रास्ते से होकर गुजरना है।  आज सुबह से इस रास्ते पर ज़ोर-शोर से सफाई चल रही है, हर पचास मीटर पर कोई सफाईकर्मी सफाई करते हुए, तो कोई कूड़ा उठाते हुए, तो कोई कूड़े में आग जलाते हुए दिख रहा है।  कलेक्ट्रिफ़ोर्म पर खड़े ऑटो ड्राइवर सुरेश चंद काफी खुश नज़र आ रहे हैं, और हँसते हुए अपनी साथी ड्राइवर से कहते हैं, "मोदी जी आज फिर से दिल जीत लेहलन।  राजा! कितनी सफाई हो रहल बा। अगर एक महीना में एक बार भी उ आ जाएँ ना इहाँ, त कुल साफ सुथरा हो जाई।" वहीं पास में खड़ी एक आंटी जिन

ये झूठ अच्छे हैं बोलकर तो देखिए

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बचपन से लेकर आज तक हमें एक बात सिखाई गई है कि झूठ नहीं बोलना चाहिए, झूठ बोलना पाप है। लेकिन आज मैं कह रही हूँ कुछ झूठ बहुत सुकून देने वाले होते हैं, जैसे - जब रात को माँ का फोन आए और पूछें- "बेटा खाना खा लिया है?" तो झूठ ही सही बोल देना चाहिए, हाँ खा ली हूँ। "खाना ही खाया नहीं कुछ उट-पटांग की चीज तो नहीं ना," तो प्यार से कह देना चाहिए, "नहीं माँ! मैं दाल-रोटी, और सब्जी चावल खाई हूँ।" जब आपका प्रेमी आपसे पूछे कि, "मेरी जान ने आज कॉल क्यों नहीं किया, मेरी याद नहीं आती क्या?" तो मुसकुराते हुए झूठ बोल देना चाहिए कि, "याद? मैं  भूल ही कब पाती हूँ आपको।" क्योंकि कुछ झूठ अच्छे होते हैं। आप झूठ बोलकर तो देखिए। 

ये मोहब्बत की अस्सी है, दैनिक प्रयुक्ति में एक और लेख

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