ये झूठ अच्छे हैं बोलकर तो देखिए




बचपन से लेकर आज तक हमें एक बात सिखाई गई है कि झूठ नहीं बोलना चाहिए, झूठ बोलना पाप है। लेकिन आज मैं कह रही हूँ कुछ झूठ बहुत सुकून देने वाले होते हैं, जैसे -
जब रात को माँ का फोन आए और पूछें- "बेटा खाना खा लिया है?" तो झूठ ही सही बोल देना चाहिए, हाँ खा ली हूँ।
"खाना ही खाया नहीं कुछ उट-पटांग की चीज तो नहीं ना," तो प्यार से कह देना चाहिए, "नहीं माँ! मैं दाल-रोटी, और सब्जी चावल खाई हूँ।"
जब आपका प्रेमी आपसे पूछे कि, "मेरी जान ने आज कॉल क्यों नहीं किया, मेरी याद नहीं आती क्या?" तो मुसकुराते हुए झूठ बोल देना चाहिए कि, "याद? मैं  भूल ही कब पाती हूँ आपको।"
क्योंकि कुछ झूठ अच्छे होते हैं। आप झूठ बोलकर तो देखिए। 

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